Day -5 Shrimad Bhagwat Katha Live | Pujya Shri Indresh Ji @ChitraVichitraJiMaharaj | Shri Govardhan
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Published 2024-06-17
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Day -5 Shrimad Bhagwat Katha Live | Pujya Shri Indresh Ji @ChitraVichitraJiMaharaj | Shri Govardhan dham 2024
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Shri Indresh Upadhyay, son of Shri Krishna Chandra Shastri Thakurji and founder of BhaktiPath, is a noble preacher and philosopher whose teachings have helped thousands of people worldwide experience elevated levels of spiritual consciousness. A thinker and spiritual master, he is a living example of humility and dedicated service.
His spiritual organisation, Bhakti path, aims to spread the love and wisdom of great saints and sages of India and provide spiritual seekers with a wealth of knowledge about the living traditions of Hinduism. Bhaktipath is the source of understanding the teachings of Shrimad Bhagwat Katha for spiritual seekers and has proven to be a light of knowledge in a world of darkness. Shri Indresh Upadhyay is a beacon of hope and inspiration to millions of people around the world.
7060113330, 7060103330
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All Comments (21)
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जय श्रीकृष्ण ❤️🙏🌹💕🌸🌻🌷💐🥀🇳🇵🌼🌺
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Radha🙏🌹👌 Radha🙏🌹👌 prabhuji
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मुकुट मणि गिरिराज जी आपको सुनते हुए 5 दिन हो गए है सिर्फ और सिर्फ आपका पद जो श्री महाराज जी गाए है मुझे कथा प्रवेश ही नही करने दे रहे कथा के 6 मिनट से 17 मिनट के इस पद को निरंतर दोहराए जा रहा हु गिरिराज जी कृपा करके मुझे कथा में प्रवेश करने दीजिए नही तो मुझे श्री गिरिराज जी में ही शरण लेनी पड़ेगी !!! धन्य हो आप गिरिराज जी,,,,धन्य हो आप इंद्रेश जी और अति धन्य भाग मेरे जोआपकी वाणी सुनकर श्री गिरिराज जी के दर्शन बंद नेत्रों से कर पा रहा हुं ❤
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महाराज जी सारे भाव का तो पता नहीं पर आपकी कथा से भक्ति भाव जरूर प्रबल हो गया है..आपका बहुत बहुत शुक्रिया....राधारमन लाल की जय....
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ब्रह्म वैवर्त पुराण ब्रह्मखण्ड : अध्याय 3 सौति कहते हैं – शौनक जी! तत्पश्चात् परमात्मा श्रीकृष्ण के वामपार्श्व से भगवान शिव प्रकट हुए। उनकी अंग कान्ति शुद्ध स्फटिक मणि के समान निर्मल एवं उज्ज्वल थी। उनके पाँच मुख थे और दिशाएँ ही उनके लिये वस्त्र थीं। उन्होंने मस्तक पर तपाये हुए सुवर्ण के समान पीले रंग की जटाओं का भार धारण कर रखा था। उनका मुख मन्द-मन्द मुस्कान से प्रसन्न दिखायी देता था। उनके प्रत्येक मस्तक में तीन-तीन नेत्र थे। उनके सिर पर चन्द्राकार मुकुट शोभा पाता था। परमेश्वर शिव ने हाथों में त्रिशूल, पट्टिश और जपमाला ले रखी थी। वे सिद्ध तो हैं ही, सम्पूर्ण सिद्धों के ईश्वर भी हैं। योगियों के गुरु के भी गुरु हैं। मृत्यु की भी मृत्यु हैं, मृत्यु के ईश्वर हैं, मृत्यु स्वरूप हैं और मृत्यु पर विजय पाने वाले मृत्युंजय हैं। वे ज्ञानानन्दरूप, महाज्ञानी, महान ज्ञानदाता तथा सबसे श्रेष्ठ हैं। पूर्ण चन्द्रमा की प्रभा से धुले हुए–से गौरवर्ण शिव का दर्शन सुखपूर्वक होता है। उनकी आकृति मन को मोह लेती है। ब्रह्मतेज से जाज्वल्यमान भगवान शिव वैष्णवों के शिरोमणि हैं। प्रकट होने के पश्चात् श्रीकृष्ण के सामने खड़े हो भगवान शिव ने भी हाथ जोड़कर उनका स्तवन किया। उस समय उनके सम्पूर्ण अंगों में रोमांच हो आया था। नेत्रों से अश्रु झर रहे थे और उनकी वाणी अत्यन्त गद्गद हो रही थी। महादेव जी बोले– जो जय के मूर्तिमान रूप, जय देने वाले, जय देने में समर्थ, जय की प्राप्ति के कारण तथा विजयदाताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं, उन अपराजित देवता भगवान श्रीकृष्ण की मैं वन्दना करता हूँ। सम्पूर्ण विश्व जिनका रूप है, जो विश्व के ईश्वरों के भी ईश्वर हैं, विश्वेश्वर, विश्वकारण, विश्वाधार, विश्व के विश्वासभाजन तथा विश्व के कारणों के भी कारण हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण की मैं वन्दना करता हूँ। जो जगत की रक्षा के कारण, जगत के संहारक तथा जगत की सृष्टि करने वाले परमेश्वर हैं; फल के बीज, फल के आधार, फलरूप और फलदाता हैं; उन भगवान श्रीकृष्ण को मैं प्रणाम करता हूँ। जो तेजःस्वरूप, तेज के दाता और सम्पूर्ण तेजस्वियों में श्रेष्ठ हैं, उन भगवान गोविन्द की मैं वन्दना करता हूँ।[1] ऐसा कहकर महादेव जी ने भगवान श्रीकृष्ण को मस्तक झुकाया और उनकी आज्ञा से श्रेष्ठ रत्नमय सिंहासन पर नारायण के साथ वार्तालाप करते हुए बैठ गये। जो मनुष्य भगवान शिव द्वारा किये गये इस स्तोत्र का संयतचित्त होकर पाठ करता है, उसे सम्पूर्ण सिद्धियाँ मिल जाती हैं और पग-पग पर विजय प्राप्त होती है। उसके मित्र, धन और ऐश्वर्य की सदा वृद्धि होती है तथा शत्रु समूह, दुःख और पाप नष्ट हो जाते हैं।
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Jay ho radhamadhav lal ki 🙏🌹🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹
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Jai ho girdhar lal ji ki
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Jay ho thakur
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Jai ho nandlal ki
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जय श्री राधे
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Jay jay shreenath ji jese hi lgte h...😊😊
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Jai shree shyam
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राधे कृष्णा प्रभु जी
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Jai shree radhey radhey guru devi ji 🙏🏻
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❤❤❤❤❤❤❤❤
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जय जय श्री राधे।🙏🙏🌹🌹❤️❤️🌺🌺
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Radhe radhe parbhu ji aapko dasi ka
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जय द्वारकाधीश ❤
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🎉🎉🎉❤❤ राधे🙏 राधे🙏 कृष्णा🙏❤❤
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जय जय राम कृष्ण हरी विठ्ठला ❤